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30 June 2013

MLM Movement by all MLM Company

मल्टीलेवल मार्केटिंग के कारोबार से जुड़े कानून पर सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान कारोबारियों ने सरकार को 45 दिन का अल्टीमेटम दिया है। कारोबारियों का कहना कि अगर सरकार इस दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाती है तो वो देश भर में आंदोलन करेंगे।
मल्टीलेवल मार्केटिंग सेक्टर के लिए अलग से कानून बनाने की मांग तेज होती जा रही है। दरअसल ये कंपनियां अपने लिए अलग पहचान चाहती है। क्योंकि मौजूदा चिट फंड कानून के तहत पुलिस इनके साथ भी वही बर्ताव कर रही है जो चिट फंड कंपनियों के साथ होता है।
इस इंडस्ट्री से जुड़ संगठन फोरम फॉर डायरेक्ट सेलिंग कंपनी एंड कंज्यूमर्स ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) का दावा है कि देश में मल्टीलेवल मार्केटिंग का कारोबार करीब 20,000 करोड़ रुपये सालाना का है। और इस कारोबार में करीब 4,000 कंपनियां और करीब 7 करोड़ डिस्ट्रीब्यूटर्स लगे हैं। अलग कानून नहीं होने की वजह से इन सबको परेशानी हो रही है।
मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियां भले ही अपने कारोबार के लिए अलग से कानून बनाने की मांग कर रही हो लेकिनसरकार की मंशा नया कानून लाने की बजाए मौजूदा कानून में ही फेरबदल करने की है। एम् एल एम् न्यूज़ पेपर की जानकारी के मुताबिक संसद के मॉनसून सत्र में कई मौजूदा कानूनों में फेरबदल का प्रस्ताव लाया जाएगा जिसमें मल्टीलेवल मार्केटिंग भी शामिल है। प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन (पीसीएमसी) एक्ट 1978 के तहत फ्रॉड कंपनियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाता है। लेकिन इस कानून के तहत डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों और फ्रॉड कंपनियों के बीच अंतर करना मुश्किल है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि पीसीएमसी एक्ट 1978 में फेरबदल के साथ साथ इन्हें सेबी के दायरे में भी लाया जाए। इस सेक्टर में कानून को प्रभावी बनाने के लिए सरकार बैकिंग रेग्युलेशन एक्ट 1949 में भी बदलाव कर सकती है।
Source: Mlmnewspaper.com

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