22 May 2013(Source : Jagran News)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पोंजी स्कीमों में आम निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये लुटने के बाद अब सरकार मान रही है कि ऐसा रेगुलेशन की कमजोरियों के चलते हुआ। सरकार इसे रोकने के लिए ज्यादा सशक्त कानून बनाने की कोशिश कर रही है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वित्तीय क्षेत्र वैधानिक सुधार आयोग की सिफारिशों को लागू कर फाइनेंशियल सेक्टर की कमजोरियों को खत्म करने की कोशिश की जाएगी। चिदंबरम का मानना है कि नियामकों की संख्या ज्यादा होने से किसी भी सिस्टम में खामियां बढ़ती हैं और अधिकार क्षेत्र के विवाद होते हैं। कौन सी स्कीम किस नियामक के दायरे में आएगी इसे लेकर काफी भ्रम पैदा हो रहा है। इसके चलते कई बार गंभीर मामलों को हल करने में काफी समय लग जाता है।
उन्होंने कहा कि आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय में अलग से व्यवस्था की जाएगी। सभी नियामक, संबंधित विभागों और जानकारों के सुझावों पर गौर किया जाएगा। वित्त मंत्री के मुताबिक इसके लिए नया कानून पारित करना होगा और लोगों को ट्रेनिंग देनी होगी। मौजूदा सिस्टम से नए सिस्टम की तरफ जाना एक बड़ी चुनौती होगी।
भारतीय वित्तीय कानून विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को ऐसा वित्तीय कानूनी ढांचा तैयार करना होगा जो अगले 50 साल की जरूरतों को पूरा करता हो। उन्होंने लोकसभा से हाल ही में पारित नए कंपनी कानून का हवाला देते हुए कहा कि अभी इसे राज्यसभा से पारित होना बाकी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में शेयर बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा को आपस में मिला कर एक यूनिफाइड फाइनेंशियल एजेंसी [यूएफए] के गठन की सिफारिश की है। आयोग के मुताबिक रिजर्व बैंक की भूमिका को सिर्फ बैंकों के नियमन और मौद्रिक नीति के प्रबंधन तक सीमित कर देना चाहिए।
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