16 मार्च से हम दिल्ली में महा आन्दोलन की शुरुआत कर रहे हैं ---
कुछ छोटे- छोटे कार्य करने से हमारी जीत पक्की है :-
1) हम सभी हर रोज़ कम से कम 50 लोगो को फ़ोन लगाये 16 मार्च के लिए l
2) हम सभी हर रोज़ कम से कम 200 SMS करें l
3) जो साथी दूर से आ रहे हैं उनकी ट्रेन या बस टिकेट जल्द से जल्द बन जाये इसका follow up करें l
4) सभी मिलकर अपनी अपनी जिम्मेदारी ले कर इस अभियान को सार्थक बनाये l
सभी सीनियर साथी हमारे साथ हैं किसी भी गलत फहमी में न आयें, किसी गलत अफवाह से बचे पुरजोर तय्यारी के साथ आयें l
GOPAL KAUSHIK
कुछ छोटे- छोटे कार्य करने से हमारी जीत पक्की है :-
1) हम सभी हर रोज़ कम से कम 50 लोगो को फ़ोन लगाये 16 मार्च के लिए l
2) हम सभी हर रोज़ कम से कम 200 SMS करें l
3) जो साथी दूर से आ रहे हैं उनकी ट्रेन या बस टिकेट जल्द से जल्द बन जाये इसका follow up करें l
4) सभी मिलकर अपनी अपनी जिम्मेदारी ले कर इस अभियान को सार्थक बनाये l
सभी सीनियर साथी हमारे साथ हैं किसी भी गलत फहमी में न आयें, किसी गलत अफवाह से बचे पुरजोर तय्यारी के साथ आयें l
GOPAL KAUSHIK
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
ReplyDeleteवह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
चिनगारी बन गई लहू की बूँद गिरी जो पग से;
चमक रहे, पीछे मुड़ देखो, चरण - चिह्न जगमग - से।
शुरू हुई आराध्य-भूमि यह, क्लान्ति नहीं रे राही;
और नहीं तो पाँव लगे हैं, क्यों पड़ने डगमग - से?
बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
अपनी हड्डी की मशाल से हॄदय चीरते तम का,
सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश निर्मम का।
एक खेय है शेष किसी विधि पार उसे कर जाओ;
वह देखो, उस पार चमकता है मन्दिर प्रियतम का।
आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है,
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
दिशा दीप्त हो उठी प्राप्तकर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा,
लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा।
जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलायेगी ही,
अम्बर पर घन बन छायेगा ही उच्छवास तुम्हारा।
और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है।
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
Ramashish Sahu
New Delhi
9968225775